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Friday, 20 November 2015

प्रेरक कथा

ध्यान से पढ़ें.....
जापान में, हमेशा से ही मछलियाँ, खाने का एक खास हिस्सा रही हैं ।
और ये जितनी ताज़ी होतीं हैं लोग उसे उतना ही पसंद करते हैं ।
लेकिन जापान के तटों के आस-पास इतनी मछलियाँ नहीं होतीं की उनसे लोगों की डिमांड पूरी की जा सके ।
नतीजतन मछुआरों को दूर समुद्र में जाकर मछलियाँ  पकड़नी पड़ती हैं।
जब इस तरह से मछलियाँ पकड़ने की शुरुआत हुई तो मछुआरों के सामने एक गंभीर समस्या सामने आई ।
वे जितनी दूर मछली पक़डने जाते उन्हें लौटने मे उतना ही अधिक समय लगता
और मछलियाँ बाजार तक पहुँचते-पहुँचते  बासी हो जातीँ , ओर फिर कोई उन्हें खरीदना  नहीं चाहता ।
इस समस्या से निपटने के लिए  मछुआरों ने अपनी बोट्स पर फ्रीज़र लगवा  लिये । वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें फ्रीजर में डाल देते ।
इस तरह से वे और भी देर तक मछलियाँ पकड़ सकते थे और उसे बाजार तक पहुंचा सकते थे ।
पर इसमें भी एक समस्या आ गयी ।
जापानी फ्रोजेन फिश ओर फ्रेश फिश में आसनी से अंतर कर लेते और फ्रोजेन मछलियों को खरीदने से कतराते ,
उन्हें तो किसी भी कीमत पर ताज़ी मछलियाँ  ही चाहिए होतीं ।
एक बार फिर मछुआरों ने इस समस्या से निपटने की सोची और इस बार एक शानदार तरीका निकाला ,
उन्होंने अपनी बड़े – बड़े जहाजों पर
फिश टैंक्स बनवा लिए ओर अब वे
मछलियाँ पकड़ते और उन्हें पानी से
भरे टैंकों मे डाल देते ।
टैंक में डालने के बाद कुछ देर तो
मछलियाँ इधर उधर भागती पर जगह
कम होने के कारण वे जल्द ही एक
जगह स्थिर हो जातीं ,और जब ये मछलियाँ बाजार पहुँचती तो भले वे ही सांस ले रही होतीं लकिन उनमेँ वो बात नहीं होती जो आज़ाद घूम रही ताज़ी मछलियों मे होती ! ओर जापानी चख कर इन मछलियों में भी अंतर कर लेते ।
तो इतना कुछ करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई थी।
अब मछुवारे क्या करते ?
वे कौन सा उपाय लगाते कि ताज़ी मछलियाँ लोगोँ तक पहुँच पाती ?
नहीं,
उन्होंने कुछ नया नहीं किया , वें अभी भी मछलियाँ टैंक्स में ही रखते , पर इस बार  वो हर एक टैंक मे एक छोटी सी शार्क मछली भी ङाल देते।
शार्क कुछ मछलियों को जरूर खा जाती  पर ज्यादातर मछलियाँ बिलकुल ताज़ी  पहुंचती।
ऐसा क्यों होता ?
क्योंकि शार्क बाकी मछलियों की लिए एक चैलेंज की तरह थी।
उसकी मौज़ूदगी बाक़ी मछलियों को हमेशा चौकन्ना रखती ओर अपनी जान बचाने के लिए वे हमेशा अलर्ट रहती।
इसीलिए कई दिनों तक टैंक में रह्ने के बावज़ूद उनमे स्फूर्ति ओर ताजापन बना रहता। 
दोस्तों, आज बहुत से लोगों की जिंदगी टैंक मे पड़ी उन मछलियों की तरह हो गयी है जिन्हे जगाने की लिए कोई शार्क मौज़ूद नहीं है।
और अगर दुर्भाग्य से आपके साथ भी ऐसा ही है तो आपको भी अपने जीवन में नई चुनौतियाँ स्वीकार करनी होंगी ।
आप जिस दिनचर्या के आदि हो चुकें हैँ उससे कुछ अलग़ करना होगा, आपको अपना दायरा बढ़ाना होगा और एक बार फिर जिंदगी में रोमांच और नयापन लाना होगा।
नहीं तो , बासी मछलियों की तरह आपका भी मोल कम हो जायेगा
और लोग आप से मिलने-जुलने की बजाय बचते नजर आएंगे।
और दूसरी तरफ अगर आपकी लाइफ में चैलेंजेज हैँ , बाधाएं हैँ तो उन्हें कोसते मत रहिये
कहीं ना कहीं ये आपको ताजा और जीवंत बनाये रखती हैँ
इन्हेँ स्वीकार करिये, इन्हें काबू करिये और अपना  तेज बनाये रखिये।

Saturday, 24 October 2015

एक कप दूध....

सर एक कप दूध मिलेगा क्या ??
6 माह के बच्चे की माँ ने 3 स्टार
होटल मैनेजर से पूछा.....!!
.
.
मैनेजर "हाँ, 100 रू. मेँ मिलेगा".......!!
"ठीक ...है दे दो" महिला ने कहा..... 

जो पिकनिक के दौरान इस
होटल मेँ ठहरी, सुबह जब गाड़ी मे जा रहे
थे तो बच्चे को फिर भूख लगी, गाडी को टूटी
झोपड़ी वाली पुरानी सी चाय
की दुकान पर रोका…… बच्चे
को दूध पिला कर शांत किया.........! 


दूध के पैसे पूछने पर बूढा दुकान मालिक
बोला - "बेटी हम बच्चे के दूध
के पैसे नहीं लेते, यदि रास्ते के
लिए चाहिए तो लेती जाओ! .

"बच्चे की माँ के दिमाग में एक सवाल बार बार घूम रहा था कि 
अमीर कौन ?? 3 स्टार होटल वाला, 
या टूटी झोपड़ी वाला ??
मिली थी जिन्दगी किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बित रहा है कागज के टुकड़े कमाने के
लिए..


क्या करोगे इतना पैसा कमा
कर..? ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे
'अलमारी'....

Monday, 5 October 2015

नाद ब्रह्म....

शिवजी ने पार्वतीजी से कहा :-
1. रात्रि में ध्वनिरहित, अंधकारयुक्त, एकांत स्थान पर बैठें.
2. तर्जनी अंगुली से दोनों कानों को बंद करें. आँखें बंद रखें. 
3. कुछ ही समय के अभ्यास से अग्नि प्रेरित शब्द सुनाई देगा. 
4. इसे शब्द-ब्रह्म कहते हैं. 
5. यह शब्द या ध्वनि नौ प्रकार की होती है.
6. इसको सुनने का अभ्यास करना शब्द-ब्रह्म का ध्यान करना है. 
7. इससे संध्या के बाद खाया हुआ अन्न क्षण भर में ही पच जाता है और संपूर्ण रोगों तथा ज्वर आदि बहुत से उपद्रवों का शीघ्र ही नाश करता है. 
8. यह शब्द ब्रह्म न ॐकार है, न मंत्र है, न बीज है, न अक्षर है. 
9. यह अनाहत नाद है (अनाहत अर्थात बिना आघात के या बिना बजाये उत्पन्न होने वाला शब्द). 
10. इसका उच्चारण किये बिना ही चिंतन होता है. 

यह नौ प्रकार का होता है :-
१. घोष नाद :- यह आत्मशुद्धि करता है, सब रोगों का नाश करता है व मन को वशीभूत करके अपनी और खींचता है.
२. कांस्य नाद :- यह प्राणियों की गति को स्तंभित कर देता है. यह विष, भूत, ग्रह आदि सबको बांधता है.
३. श्रृंग नाद :- यह अभिचार से सम्बन्ध रखने वाला है.
४. घंट नाद :- इसका उच्चारण साक्षात् शिव करते हैं. यह संपूर्ण देवताओं को आकर्षित कर लेता है, महासिद्धियाँ देता है और कामनाएं पूर्ण करता है.
५. वीणा नाद :- इससे दूर दर्शन की शक्ति प्राप्त होती है.
६. वंशी नाद :- इसके ध्यान से सम्पूर्ण तत्व प्राप्त हो जाते हैं.
७. दुन्दुभी नाद :- इसके ध्यान से साधक जरा व मृत्यु के कष्ट से छूट जाता है.
८. शंख नाद :- इसके ध्यान व अभ्यास से इच्छानुसार रूप धारण करने की शक्ति प्राप्त होती है.
९. मेघनाद :- इसके चिंतन से कभी विपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ता.
इन सबको छोड़कर जो अन्य शब्द सुनाई देता है वह तुंकार कहलाता है. तुंकार का ध्यान करने से साक्षात् शिवत्व की प्राप्ति होती है.
                                                                              
                                                                             ॐ

Tuesday, 29 September 2015

A poem

મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યાં
મારી વેલ શણગારો, વીરા શગને સંકોરો
રે અજવાળાં પહેરીને ઊભા શ્વાસ
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યાં
પીળે રે પાંદે લીલા ઘોડા ડૂબ્યાં
ડૂબ્યાં અલકાતાં રાજ, ડૂબ્યાં મલકાતાં કાજ
રે હણહણતી મેં સાંભળી સુવાસ
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યાં
મને રોકે પડછાયો એક ચોકમાં
અડધા બોલે ઝાલ્યો, અડધો ઝાંઝરથી ઝાલ્યો
મને વાગે સજીવી હળવાશ
મારી આંખે કંકુના સૂરજ આથમ્યાં
~ રાવજી પટેલ.

Tuesday, 18 August 2015

50 most positive one liners.

1.  Have a firm handshake.
2.  Look people in the eye.
3.  Sing in the shower.
4.  Own a great stereo system.
5.  If in a fight, hit first and hit hard.
6.  Keep secrets.
7.  Never give up on anybody. 
    Miracles happen everyday.
8.  Always accept an outstretched hand.
9.  Be brave. 
    Even if you're not, pretend to be. 
    No one can tell the difference.
10. Whistle.
11. Avoid sarcastic remarks.
12. Choose your life's mate carefully. 
    From this one decision will come 90 % of all your happiness 
    or misery.
13. Make it a habit to do nice things for people who will never find out.
14. Lend only those books you never care to see again.
15. Never deprive someone of hope; it might be all that they have.
16. When playing games with children, let them win.
17. Give people a second chance, but not a third.
18. Be romantic.
19. Become the most positive and enthusiastic person you know.
20. Loosen up. Relax. 
    Except for rare life-and-death matters,
    nothing is as important as it first seems.
21. Don't allow the phone to interrupt important moments. 
    It's there for our convenience, not the caller's.
22. Be a good loser.
23. Be a good winner.
24. Think twice before burdening a friend with a secret.
25. When someone hugs you, let them be the first to let go.
26. Be modest. A lot 
27. Keep it simple.
28. Beware of the person who has nothing to lose.
29. Don't burn bridges. 
    You'll be surprised how many times you have to cross the same river.
30. Live your life so that your epitaph could read, No Regrets
31. Be bold and courageous. 
    When you look back on life, 
    you'll regret the things you didn't do more than the ones you did.
32. Never waste an opportunity to tell someone you love them.
33. Remember no one makes it alone. 
    Have a grateful heart 
    and be quick to acknowledge those who helped you.
34. Take charge of your attitude. 
    Don't let someone else choose it for you.
35. Visit friends and relatives when they are in hospital; 
    you need only stay a few minutes.
36. Begin each day with some of your favourite music.
37. Once in a while, take the scenic route.
38. Send a lot of Valentine cards. 
    Sign them, 'Someone who thinks you're terrific.'
39. Answer the phone with enthusiasm and energy in your voice.
40. Keep a note pad and pencil on your bed-side table. 
    Million-dollar ideas sometimes strike at 3 a.m.
41. Show respect for everyone who works for a living, 
    regardless of how trivial their job.
42. Send your loved ones flowers. 
    Think of a reason later.
43. Make someone's day by paying the toll for the person in the car 
    behind you.
44. Become someone's hero.
45. Marry only for love.
46. Count your blessings.
47. Compliment the meal when you're a guest in someone's home.
48. Wave at the children on a school bus.
49. Remember that 80 % of the success in any job is based on your ability to deal with people.
50. Don't expect life to be Fair.

Saturday, 25 July 2015

हरिवंशराय बच्चन

-हरिवंशराय बच्चन की बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ-
"जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।
तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।" 
+
तजुर्बे ने एक बात सिखाई है...
एक नया दर्द ही...
पुराने दर्द की दवाई है...!
+
हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है
+
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.
"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती..
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!
+
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
+
एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
+
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
+
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
+
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
+
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और
आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
+
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
+
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..
+
"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
+
चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं ....
पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
+
यूं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे
पता नही था की, 'कीमत चेहरों की होती है!!'
+
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
+
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
+
किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर .....

मुश्किलें जरुर है, मगर ....

मुश्किलें जरुर है, मगर ठहरा नही हूँ मैं.
मंज़िल से ज़रा कह दो, अभी पहुंचा नही हूँ मैं.

कदमो को बाँध न पाएंगी, मुसीबत कि ज़ंजीरें,
रास्तों से ज़रा कह दो, अभी भटका नही हूँ मैं.

दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि चाहतें,
दोस्तों से ज़रा कह दो, अभी बदला नही हूँ मैं..

Friday, 24 July 2015

साहिर लुधियानवी....

लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई......
इस राज़ को क्या जाने साहिल के तमाशाई
हम डूब के समझे हैं दरिया तेरी गहराई

जाग ए मेरे हमसाया ख़्वाबों के तसलसुल से
दीवारों से आँगन में अब धूप उतर आई

चलते हुए बादल के साये के त-अक्कुब में
ये तशनालबी मुझको सहराओं में ले आई

ये जब्र भी देखे हैं तारीख की नज़रों ने
लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सज़ा पायी

क्या सानेहा याद आया मेरी तबाही का
क्यूँ आपकी नाज़ुक सी आँखों में नमी आई....

56 भोग

56 (छप्पन) भोग क्यों लगाते है...???
भगवान को लगाए जाने वाले भोग की बड़ी महिमा है |
इनके लिए 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है |
यह भोग रसगुल्ले से शुरू होकर दही, चावल, पूरी, पापड़ आदि से होते हुए इलायची पर जाकर खत्म होता है |
अष्ट पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण भगवान को अर्पित किए जाने वाले छप्पन भोग के पीछे
कई रोचक कथाएं हैं |
ऐसा भी कहा जाता है कि यशोदाजी बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी |
अर्थात्...बालकृष्ण आठ बार भोजन करते थे |
जब इंद्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया |
आठवे दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद हो गई है, सभी व्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने वाले व्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार सात दिन तक भूखा रहना उनके व्रज वासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ।
भगवान के प्रति अपनी अन्न्य श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियो सहित यशोदा जी ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8= 56
व्यंजनो का भोग बाल कृष्ण को लगाया |
गोपिकाओं ने भेंट किए छप्पन भोग...
श्रीमद्भागवत के अनुसार, गोपिकाओं ने एक माह तक यमुना में भोर में ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायनी मां की अर्चना भी इस मनोकामना से की, कि उन्हें नंदकुमार ही पति रूप में प्राप्त हों |
श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूर्ति की सहमति दे दी |
व्रत समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ही उद्यापन स्वरूप गोपिकाओं ने छप्पन भोग का आयोजन किया |
छप्पन भोग हैं छप्पन सखियां...
ऐसा भी कहा जाता है कि गौलोक में भगवान श्रीकृष्ण राधिका जी के साथ एक दिव्य कमल पर विराजते हैं।
उस कमल की तीन परतें होती हैं...
प्रथम परत में "आठ",
दूसरी में "सोलह",
और
तीसरी में "बत्तीस पंखुड़िया" होती हैं |
प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं |
इस तरह कुल पंखुड़ियों संख्या छप्पन होती है |
56 संख्या का यही अर्थ है |
-:::: छप्पन भोग इस प्रकार है ::::-
1. भक्त (भात),
2. सूप (दाल),
3. प्रलेह (चटनी),
4. सदिका (कढ़ी),
5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),
6. सिखरिणी (सिखरन),
7. अवलेह (शरबत),
8. बालका (बाटी),
9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),
10. त्रिकोण (शर्करा युक्त),
11. बटक (बड़ा),
12. मधु शीर्षक (मठरी),
13. फेणिका (फेनी),
14. परिष्टïश्च (पूरी),
15. शतपत्र (खजला),
16. सधिद्रक (घेवर),
17. चक्राम (मालपुआ),
18. चिल्डिका (चोला),
19. सुधाकुंडलिका (जलेबी),
20. धृतपूर (मेसू),
21. वायुपूर (रसगुल्ला),
22. चन्द्रकला (पगी हुई),
23. दधि (महारायता),
24. स्थूली (थूली),
25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी),
26. खंड मंडल (खुरमा),
27. गोधूम (दलिया),
28. परिखा,
29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त),
30. दधिरूप (बिलसारू),
31. मोदक (लड्डू),
32. शाक (साग),
33. सौधान (अधानौ अचार),
34. मंडका (मोठ),
35. पायस (खीर)
36. दधि (दही),
37. गोघृत,
38. हैयंगपीनम (मक्खन),
39. मंडूरी (मलाई),
40. कूपिका (रबड़ी),
41. पर्पट (पापड़),
42. शक्तिका (सीरा),
43. लसिका (लस्सी),
44. सुवत,
45. संघाय (मोहन),
46. सुफला (सुपारी),
47. सिता (इलायची),
48. फल,
49. तांबूल,
50. मोहन भोग,
51. लवण,
52. कषाय,
53. मधुर,
54. तिक्त,
55. कटु,
56. अम्ल.

Wednesday, 22 July 2015

ठीक नहीं....

कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं,,
जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं..!!

झूठ को सच में बदलना भी हुनर है लेकिन,,
अपने ऐबों को छुपाने का ये फन ठीक नहीं..!!

उनकी नीयत में ख़लल है तो घर से ना निकलें,,
तेज़ बारिश में ये मिट्टी का बदन ठीक नहीं..!!

शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी,,
जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं..!!

हर गली चुप सी रहे, और रहें सन्नाटे,,
मेरे इस मुल्क में ऐसा भी अमन ठीक नहीं..!!

जो लिबासों को बदलने का शौक़ रखते थे,,
आखरी वक़्त ना कह पाए क़फ़न ठीक नहीं..

Wednesday, 24 June 2015

Murder of a language.

Terrible English by PT sir:

1) There is no wind in the football..
2) I talk, he talk, why you middle talk?.
3) You rotate the ground 4 times..
4) You go and understand the tree.
5) I'll give you clap on ur cheeks..
6) Bring your parents and your mother and especially your father.
7) Close the window airforce is coming.
8) I have two daughters and both are girls..
9) Stand in a straight circle..
10) Don't stand in front of my back
11) Why Haircut not cut..?
12) Don't make noise.. principle is rotating in the corridor
13) Why are you looking at the monkey outside the window when I’m here?
14) You talking bad habit
15) Give me a red pen of any colour.
16) Can i have some snow in my cold drink?
17) Pick the paper and fall into the dustbin.
18) Both of u stand together separately.
19) Keep quiet the principal just passed away!! ....

Saturday, 6 June 2015

सत्संग....

एक युवक प्रतिदिन संत का प्रवचन सुनता था। एक दिन जब प्रवचन समाप्त हो गए, तो वह संत के पास गया और बोला, ‘महाराज! मैं काफी दिनों से आपके प्रवचन सुन रहा हूं, किंतु यहां से जाने के बाद मैं अपने गृहस्थ जीवन में वैसा सदाचरण नहीं कर पाता, जैसा यहां से सुनकर जाता हूं। इससे सत्संग के महत्व पर शंका भी होने लगती है। बताइए, मैं क्या करूं?’ संत ने युवक को बांस की एक टोकरी देते हुए उसमें पानी भरकर लाने के लिए कहा। युवक टोकरी में जल भरने में असफल रहा। संत ने यह कार्य निरंतर जारी रखने के लिए कहा। युवक प्रतििदन टोकरी में जल भरने का प्रयास करता, किंतु सफल नहीं हो पाता। कुछ दिनों बाद संत ने उससेे पूछा, ‘इतने दिनों से टोकरी में लगातार जल डालने से क्या टोकरी में कोई फर्क नजर आया?’ युवक बोला. ‘एक फर्क जरूर नजर आया है। पहले टोकरी के साथ मिट्टी जमा होती थी, अब वह साफ दिखाई देती है। कोई गंदगी नहीं दिखाई देती और इसके छेद पहले जितने बड़े नहीं रह गए, वे बहुत छोटे हो गए हैं।’ तब संत ने उसे समझाया, ‘यदि इसी तरह उसे पानी में निरंतर डालते रहोगे, तो कुछ ही दिनों में ये छेद फूलकर बंद हो जाएंगे और टोकरी में पानी भर पाओगे। इसी प्रकार जो निरंतर सत्संग करते हैं, उनका मन एक दिन अवश्य निर्मल हो जाता है, अवगुणों के छिद्र भरने लगते हैं और गुणों का जल भरने लगता है।’ युवक ने संत से अपनी समस्या का समाधान पा लिया। निरंतर सत्संग से दुर्ज न भी सज्जन हो जाते हैं। क्योंकि महापुरुषों की पवित्र वाणी उनके मानसिक विकारों को दूर कर उनमें सदविचारों का आलोक प्रसारित कर देती है।

Tuesday, 5 May 2015

चार लाइन दोस्तों के नाम....

चार लाइन दोस्तों के नाम....
काश फिर मिलने की वजह
मिल जाए
साथ जितना भी बिताया वो
पल मिल जाए,
चलो अपनी अपनी आँखें बंद
कर लें,
क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा
हुआ कल मिल जाए..
मौसम को जो महका दे
उसे 'इत्र' कहते हैं
जीवन को जो महका दे उसे ही
'मित्र' कहते है l
क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं
दोस्त
क्यूँ गम को बाँट लेते हैं
दोस्त
न रिश्ता खून का न रिवाज से
बंधा है
फिर भी ज़िन्दगी भर साथ
देते हैं दोस्त...!

Friday, 27 March 2015

मेरा अंदाज़

नफरतों का असर  देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.

मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
                                                                                                                                                ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं..
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
---

सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए..
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
---

न मस्जिद को जानते हैं ,
न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं,
वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.

मेरा ये अंदाज ज़माने को खलता
है
कि मेरा चिराग हवा के खिलाफ
क्यों जलता है......

में अमन पसंद हूँ ,
मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो,
मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....

- Anonymous.

Wednesday, 4 March 2015

प्रेरक कथा

ध्यान से पढ़ें.....

जापान में, हमेशा से ही मछलियाँ, खाने का एक खास हिस्सा रही हैं ।

और ये जितनी ताज़ी होतीं हैं लोग उसे उतना ही पसंद करते हैं ।

लेकिन जापान के तटों के आस-पास इतनी मछलियाँ नहीं होतीं की उनसे लोगों की डिमांड पूरी की जा सके ।

नतीजतन मछुआरों को दूर समुंद्र में जाकर मछलियाँ  पकड़नी पड़ती हैं।

जब इस तरह से मछलियाँ पकड़ने की शुरुआत हुई तो मछुआरों के सामने एक गंभीर समस्या सामने आई ।

वे जितनी दूर मछली पक़डने जाते उन्हें लौटने मे उतना ही अधिक समय लगता

और मछलियाँ बाजार तक पहुँचते-पहुँचते  बासी हो जातीँ , ओर फिर कोई उन्हें खरीदना  नहीं चाहता ।

इस समस्या से निपटने के लिए  मछुआरों ने अपनी बोट्स पर फ्रीज़र लगवा  लिये । वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें फ्रीजर में डाल देते ।

इस तरह से वे और भी देर तक मछलियाँ पकड़ सकते थे और उसे बाजार तक पहुंचा सकते थे ।

पर इसमें भी एक समस्या आ गयी ।

जापानी फ्रोजेन फिश ओर फ्रेश फिश में आसनी से अंतर कर लेते और फ्रोजेन मछलियों को खरीदने से कतराते ,

उन्हें तो किसी भी कीमत पर ताज़ी मछलियाँ  ही चाहिए होतीं ।

एक बार फिर मछुआरों ने इस समस्या से निपटने की सोची और इस बार एक शानदार तरीका निकाला ,

उन्होंने अपनी बड़े – बड़े जहाजों पर
फिश टैंक्स बनवा लिए ओर अब वे
मछलियाँ पकड़ते और उन्हें पानी से
भरे टैंकों मे डाल देते ।

टैंक में डालने के बाद कुछ देर तो
मछलियाँ इधर उधर भागती पर जगह
कम होने के कारण वे जल्द ही एक
जगह स्थिर हो जातीं ,और जब ये मछलियाँ बाजार पहुँचती तो भले वे ही सांस ले रही होतीं लकिन उनमेँ वो बात नहीं होती जो आज़ाद घूम रही ताज़ी मछलियों मे होती ! ओर जापानी चख कर इन मछलियों में भी अंतर कर लेते ।

तो इतना कुछ करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई थी।

अब मछुवारे क्या करते ?

वे कौन सा उपाय लगाते कि ताज़ी मछलियाँ लोगोँ तक पहुँच पाती ?

नहीं,

उन्होंने कुछ नया नहीं किया , वें अभी भी मछलियाँ टैंक्स में ही रखते , पर इस बार  वो हर एक टैंक मे एक छोटी सी शार्क मछली भी ङाल देते।

शार्क कुछ मछलियों को जरूर खा जाती  पर ज्यादातर मछलियाँ बिलकुल ताज़ी  पहुंचती।

ऐसा क्यों होता ?

क्योंकि शार्क बाकी मछलियों की लिए एक चैलेंज की तरह थी।

उसकी मौज़ूदगी बाक़ी मछलियों को हमेशा चौकन्ना रखती ओर अपनी जान बचाने के लिए वे हमेशा अलर्ट रहती।

इसीलिए कई दिनों तक टैंक में रह्ने के
बावज़ूद उनमे स्फूर्ति ओर ताजापन बना रहता। 

Friends, आज बहुत से लोगों की जिंदगी टैंक मे पड़ी उन मछलियों
की तरह हो गयी है जिन्हे जगाने की लिए कोई shark मौज़ूद नहीं है।

और अगर unfortunately आपके साथ भी ऐसा ही है तो आपको भी आपने life में नये challenges
accept करने होंगे।

आप जिस रूटीन के आदि हो चुकें हैँ
उससे कुछ अलग़ करना होगा, आपको
अपना दायरा बढ़ाना होगा

और एक बार फिर जिंदगी में रोमांच और नयापन लाना होगा।

नहीं तो , बासी मछलियों की तरह आपका भी मोल कम हो जायेगा

और लोग आप से मिलने-जुलने की बजाय बचते नजर आएंगे।

और दूसरी तरफ अगर आपकी लाइफ में चैलेंजेज हैँ , बाधाएं हैँ

तो उन्हें कोसते मत रहिये

कहीं ना कहीं ये आपको fresh
and lively बनाये रखती हैँ

इन्हेँ  accept करिये, इन्हें overcome करिये और अपना  तेज बनाये रखिये।

Monday, 2 March 2015

प्रेरक कथा

ध्यान से पढ़ें.....

जापान में, हमेशा से ही मछलियाँ, खाने का एक खास हिस्सा रही हैं ।

और ये जितनी ताज़ी होतीं हैं लोग उसे उतना ही पसंद करते हैं ।

लेकिन जापान के तटों के आस-पास इतनी मछलियाँ नहीं होतीं की उनसे लोगों की डिमांड पूरी की जा सके ।

नतीजतन मछुआरों को दूर समुंद्र में जाकर मछलियाँ  पकड़नी पड़ती हैं।

जब इस तरह से मछलियाँ पकड़ने की शुरुआत हुई तो मछुआरों के सामने एक गंभीर समस्या सामने आई ।

वे जितनी दूर मछली पक़डने जाते उन्हें लौटने मे उतना ही अधिक समय लगता

और मछलियाँ बाजार तक पहुँचते-पहुँचते  बासी हो जातीँ , ओर फिर कोई उन्हें खरीदना  नहीं चाहता ।

इस समस्या से निपटने के लिए  मछुआरों ने अपनी बोट्स पर फ्रीज़र लगवा  लिये । वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें फ्रीजर में डाल देते ।

इस तरह से वे और भी देर तक मछलियाँ पकड़ सकते थे और उसे बाजार तक पहुंचा सकते थे ।

पर इसमें भी एक समस्या आ गयी ।

जापानी फ्रोजेन फिश ओर फ्रेश फिश में आसनी से अंतर कर लेते और फ्रोजेन मछलियों को खरीदने से कतराते ,

उन्हें तो किसी भी कीमत पर ताज़ी मछलियाँ  ही चाहिए होतीं ।

एक बार फिर मछुआरों ने इस समस्या से निपटने की सोची और इस बार एक शानदार तरीका निकाला ,

उन्होंने अपनी बड़े – बड़े जहाजों पर
फिश टैंक्स बनवा लिए ओर अब वे
मछलियाँ पकड़ते और उन्हें पानी से
भरे टैंकों मे डाल देते ।

टैंक में डालने के बाद कुछ देर तो
मछलियाँ इधर उधर भागती पर जगह
कम होने के कारण वे जल्द ही एक
जगह स्थिर हो जातीं ,और जब ये मछलियाँ बाजार पहुँचती तो भले वे ही सांस ले रही होतीं लकिन उनमेँ वो बात नहीं होती जो आज़ाद घूम रही ताज़ी मछलियों मे होती ! ओर जापानी चख कर इन मछलियों में भी अंतर कर लेते ।

तो इतना कुछ करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई थी।

अब मछुवारे क्या करते ?

वे कौन सा उपाय लगाते कि ताज़ी मछलियाँ लोगोँ तक पहुँच पाती ?

नहीं,

उन्होंने कुछ नया नहीं किया , वें अभी भी मछलियाँ टैंक्स में ही रखते , पर इस बार  वो हर एक टैंक मे एक छोटी सी शार्क मछली भी ङाल देते।

शार्क कुछ मछलियों को जरूर खा जाती  पर ज्यादातर मछलियाँ बिलकुल ताज़ी  पहुंचती।

ऐसा क्यों होता ?

क्योंकि शार्क बाकी मछलियों की लिए एक चैलेंज की तरह थी।

उसकी मौज़ूदगी बाक़ी मछलियों को हमेशा चौकन्ना रखती ओर अपनी जान बचाने के लिए वे हमेशा अलर्ट रहती।

इसीलिए कई दिनों तक टैंक में रह्ने के
बावज़ूद उनमे स्फूर्ति ओर ताजापन बना रहता। 

Friends, आज बहुत से लोगों की जिंदगी टैंक मे पड़ी उन मछलियों
की तरह हो गयी है जिन्हे जगाने की लिए कोई shark मौज़ूद नहीं है।

और अगर unfortunately आपके साथ भी ऐसा ही है तो आपको भी आपने life में नये challenges
accept करने होंगे।

आप जिस रूटीन के आदि हो चुकें हैँ
उससे कुछ अलग़ करना होगा, आपको
अपना दायरा बढ़ाना होगा

और एक बार फिर जिंदगी में रोमांच और नयापन लाना होगा।

नहीं तो , बासी मछलियों की तरह आपका भी मोल कम हो जायेगा

और लोग आप से मिलने-जुलने की बजाय बचते नजर आएंगे।

और दूसरी तरफ अगर आपकी लाइफ में चैलेंजेज हैँ , बाधाएं हैँ

तो उन्हें कोसते मत रहिये

कहीं ना कहीं ये आपको fresh
and lively बनाये रखती हैँ

इन्हेँ  accept करिये, इन्हें overcome करिये और अपना  तेज बनाये रखिये।

Friday, 27 February 2015

A small story

Put a frog in a vessel of water and start heating the water.

As the temperature of the water rises, the frog is able to adjust its body temperature accordingly.

The frog keeps on adjusting with increase in temperature...

Just when the water is about to reach boiling point, the frog is not able to adjust anymore...

At that point the frog decides to jump out...

The frog tries to jump but is unable to do so, because it has lost all its strength in adjusting with the rising water temperature...

Very soon the frog dies.

What killed the frog?

Many of us would say the boiling water...

But the truth is what killed the frog was its own inability to decide when it had to jump out.

We all need to adjust with people and situations, but we need to be sure when we need to adjust and when we need to confront/face.

There are times when we need to face the situation and take the appropriate action...

If we allow people to exploit us physically, mentally, emotionally or financially, they will continue to do so...

We have to decide when to jump.

Awaken Let us jump while we still have the STRENGTH.

Saturday, 14 February 2015

Swine Flu

स्वाइन फ्लू: बचाव और इलाज

स्वाइन फ्लू एक बार फिर देश में पांव पसार
रहा है। फ्लू से डरने के बजाय जरूरत इसके
लक्षणों के बारे में जानने और सावधानी बरतने
की है। आइए जानें स्वाइन फ्लू से सेफ्टी के
तमाम पहलुओं के बारे में :

एक्सपर्ट्स पैनल

डॉ. सुशील कौल, सीनियर कंसल्टेंट, कोलंबिया
एशिया हॉस्पिटल

डॉ. चंदन केदावट, सीनियर कंसल्टेंट, पीएसआरआई हॉस्पिटल

डॉ. सुशील वत्स, सीनियर होम्योपैथ

डॉ. एल. के. त्रिपाठी, आयुर्वेद विशेषज्ञ

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी, योगाचार्य

क्या है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो
ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह
वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है
और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय
होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था,
उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम
पावरफुल है, हालांकि उसके वायरस ने इस बार
स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के
वायरस से इस बार का वायरस अलग है।

कैसे फैलता है

जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या
जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह
और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह
वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा
के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के
शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते
हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट
कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित
व्यक्ति ने किया हो।

शुरुआती लक्षण

- नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक
जाम होना।

- मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।

- सिर में भयानक दर्द।

- कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।

- उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।

- बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का
लगातार बढ़ना।

- गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।

नॉर्मल फ्लू से कैसे अलग

सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक
फर्क होता है। स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों,
सूअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक
मटीरियल भी होता है। सामान्य फ्लू और स्वाइन
फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन
स्वाइन फ्लू में यह देखा जाता है कि जुकाम
बहुत तेज होता है। नाक ज्यादा बहती है।
पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता
है कि किसी को स्वाइन फ्लू है। स्वाइन फ्लू
होने के पहले 48 घंटों के भीतर इलाज शुरू हो
जाना चाहिए। पांच दिन का इलाज होता है,
जिसमें मरीज को टेमीफ्लू दी जाती है।

कब तक रहता है वायरस

एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48
घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू
पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक
एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए
डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का
इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में
बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7
दिन में डिवेलप हो सकते हैं। लक्षण दिखने के
24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और
में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।

चिंता की बात

इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है
दिमाग से डर को निकालना। ज्यादातर मामलों
में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं।
जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे
इलाज के जरिए सात दिन में ठीक हो जाते हैं।
कुछ लोगों को तो अस्पताल में एडमिट भी नहीं
होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की
दवा और आराम से ठीक हो जाते हैं। कई बार
तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता
भी नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि जिन
लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट पॉजिटिव आता है,
उनमें से इलाज के दौरान मरने वालों की संख्या
केवल 0.4 फीसदी ही है। यानी एक हजार
लोगों में चार लोग। इनमें भी ज्यादातर केस
ऐसे होते हैं, जिनमें पेशंट पहले से ही हार्ट या
किसी दूसरी बीमारी की गिरफ्त में होते हैं या
फिर उन्हें बहुत देर से इलाज के लिए लाया
गया होता है।

यह रहें सावधान

5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से ज्यादा
उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं। जिन
लोगों को निम्न में से कोई बीमारी है, उन्हें
अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए :

- फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी

- मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी
मसलन, पर्किंसन

- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग

- डायबीटीजं

- ऐसे लोग जिन्हें पिछले 3 साल में कभी भी
अस्थमा की शिकायत रही हो या अभी भी हो।
ऐसे लोगों को फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते
ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

- गर्भवती महिलाओं का प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून
सिस्टम) शरीर में होने वाले हॉरमोन संबंधी
बदलावों के कारण कमजोर होता है। खासतौर
पर गर्भावस्था के तीसरे चरण यानी 27वें से
40वें सप्ताह के बीच उन्हें ज्यादा ध्यान रखने
की जरूरत है।

अकसर पूछे जाने वाले सवाल

- अगर किसी को स्वाइन फ्लू है और मैं उसके
संपर्क में आया हूं, तो क्या करूं?

सामान्य जिंदगी जीते रहें, जब तक फ्लू के
लक्षण नजर नहीं आने लगते। अगर मरीज के संपर्क में आने के 7 दिनों के अंदर आपमें
लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर से सलाह करें।

- अगर साथ में रहने वाले किसी शफ्स को
स्वाइन फ्लू है, तो क्या मुझे ऑफिस जाना
चाहिए?

हां, आप ऑफिस जा सकते हैं, मगर आपमें
फ्लू का कोई लक्षण दिखता है, तो फौरन
डॉक्टर को दिखाएं और मास्क का इस्तेमाल
करें।

- स्वाइन फ्लू होने के कितने दिनों बाद मैं
ऑफिस या स्कूल जा सकता हूं?

अस्पताल वयस्कों को स्वाइन फ्लू के शुरुआती
लक्षण दिखने पर सामान्यत: 5 दिनों तक
ऑब्जर्वेशन में रखते हैं। बच्चों के मामले में 7
से 10 दिनों तक इंतजार करने को कहा जाता
है। सामान्य परिस्थितियों में व्यक्ति को 7 से 10
दिन तक रेस्ट करना चाहिए, ताकि ठीक से
रिकवरी हो सके। जब तक फ्लू के सारे लक्षण
खत्म न हो जाएं, वर्कप्लेस से दूर रहना ही
बेहतर है।

- क्या किसी को दो बार स्वाइन फ्लू हो सकता
है?

जब भी शरीर में किसी वायरस की वजह से
कोई बीमारी होती है, शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र
उस वायरस के खिलाफ एक प्रतिरोधक क्षमता
विकसित कर लेता है। जब तक स्वाइन फ्लू के
वायरस में कोई ऐसा बदलाव नहीं आता, जो
अभी तक नहीं देखा गया, किसी को दो बार
स्वाइन फ्लू होने की आशंका नहीं रहती।
लेकिन इस वक्त फैले वायरस का स्ट्रेन बदला
हुआ है, जिसे हो सकता है शरीर का प्रतिरोधक
तंत्र इसे न पहचानें। ऐसे में दोबारा बीमारी होने
की आशंका हो सकती है।

दिल्ली में इलाज के लिए कहां जाएं

स्वाइन फ्लू से बचाव और इसका इलाज

स्वाइन फ्लू न हो, इसके लिए क्या करें?

- साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और फ्लू
के शुरुआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरती
जाए, तो इस बीमारी के फैलने के चांस न के
बराबर हो जाते हैं।

- जब भी खांसी या छींक आए रूमाल या
टिश्यू पेपर यूज करें।

- इस्तेमाल किए मास्क या टिश्यू पेपर को
ढक्कन वाले डस्टबिन में फेंकें।

- थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी
से धोते रहें।

- लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने
या चूमने से बचें।

- फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने
डॉक्टर से संपर्क करें।

- अगर फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो दूसरों
से 1 मीटर की दूरी पर रहें।

- फ्लू के लक्षण दिखने पर घर पर रहें।
ऑफिस, बाजार, स्कूल न जाएं।

- बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने
से परहेज करें।

आयुर्वेद

ऐसे करें बचाव

इनमें से एक समय में एक ही उपाय आजमाएं।

- 4-5 तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी
भर काली मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी
को एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में
दो-तीन बार पिएं।

- गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में
उबाल या छानकर पिएं।

- गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना
गिलास पानी के साथ लें।

- 5-6 पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3
दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन
बार पिएं।

- आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में
उबालकर पिएं। आधा चम्मच हल्दी गरम पानी
या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है।

- आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप
पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

स्वाइन फ्लू होने पर क्या करें

यदि स्वाइन फ्लू हो ही जाए तो वैद्य की राय से
इनमें से कोई एक उपाय करें:

- त्रिभुवन कीर्ति रस या गोदंती रस या संजीवनी
वटी या भूमि आंवला लें। यह सभी
एंटी-वायरल हैं।

- साधारण बुखार होने पर अग्निकुमार रस की
दो गोली दिन में तीन बार खाने के बाद लें।

- बिल्वादि टैब्लेट दो गोली दिन में तीन बार
खाने के बाद लें।

होम्योपैथी

कैसे करें बचाव

फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर
इन्फ्लुएंजाइनम-200 की चार-पांच बूंदें, आधी
कटोरी पानी में डालकर सुबह-शाम पांच दिन
तक लें। इस दवा को बच्चों समेत सभी लोग ले
सकते हैं। मगर डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू
ज्यादा बढ़ने पर यह दवा पर्याप्त कारगर नहीं
रहती, इसलिए डॉक्टरों से सलाह कर लें। जिन
लोगों को आमतौर पर जल्दी-जल्दी जुकाम
खांसी ज्यादा होता है, अगर वे स्वाइन फ्लू से
बचना चाहते हैं तो सल्फर 200 लें। इससे
इम्यूनिटी बढ़ेगी और स्वाइन फ्लू नहीं होगा।

स्वाइन फ्लू होने पर क्या है इलाज

1: बीमारी के शुरुआती दौर के लिए

जब खांसी-जुकाम व हल्का बुखार महसूस हो
रहा हो तब इनमें से कोई एक दवा डॉक्टर की
सलाह से ले सकते हैं:

एकोनाइट (Aconite 30), बेलेडोना (Belladona 30), ब्रायोनिया (Bryonia 30), हर्परसल्फर (Hepursuphur 30), रसटॉक्स (Rhus Tox 30), चार-पांच बूंदें, दिन में तीन
से चार बार।

2: अगर फ्लू के मरीज को उलटियां आ रही
हों और डायरिया भी हो तो नक्स वोमिका
(Nux Vomica 30), पल्सेटिला
(Pulsatilla 30), इपिकॉक (Ipecac-30)
की चार-पांच बूंदें, दिन में तीन से चार बार ले
सकते हैं।

3: जब मरीज को सांस की तकलीफ ज्यादा
हो और फ्लू के दूसरे लक्षण भी बढ़ रहे हों तो
इसे फ्लू की एडवांस्ड स्टेज कहते हैं। इसके
लिए आर्सेनिक एल्बम (Arsenic Album 30) की चार-पांच बूंदें, दिन में तीन-चार बार लें। यह
दवा अस्पताल में भर्ती व ऐलोपैथिक दवा ले
रहे मरीज को भी दे सकते हैं।

योग

शरीर के प्रतिरक्षा और श्वसन तंत्र को मजबूत
रखने में योग मददगार साबित होता है। अगर
यहां बताए गए आसन किए जाएं, तो फ्लू से
पहले से ही बचाव करने में मदद मिलती है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक
क्षमता बढ़ाने वाले अभ्यास करें:

- कपालभाति, ताड़ासन, महावीरासन,
उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन, अनुलोम-विलोम और उज्जायी
प्राणायाम तथा धीरे-धीरे भस्त्रिका प्राणायाम
या दीर्घ श्वसन और ध्यान।

- व्याघ्रासन, यानासन व सुप्तवज्रासन। यह
आसन लीवर को मजबूत करके शरीर में ताकत
लाते हैं।

डाइट

- घर का ताजा बना खाना खाएं। पानी ज्यादा
पिएं।

- ताजे फल, हरी सब्जियां खाएं।

- मौसमी, संतरा, आलूबुखारा, गोल्डन सेव,
तरबूज और अनार अच्छे हैं।

- सभी तरह की दालें खाई जा सकती हैं।

- नींबू-पानी, सोडा व शर्बत, दूध, चाय, सभी
फलों के जूस, मट्ठा व लस्सी भी ले सकते हैं।

- बासी खाना और काफी दिनों से फ्रिज में
रखी चीजें न खाएं। बाहर के खाने से बचें।

मास्क की बात

न पहने मास्क

- मास्क पहनने की जरूरत सिर्फ उन्हें है,
जिनमें फ्लू के लक्षण दिखाई दे रहे हों।

- फ्लू के मरीजों या संदिग्ध मरीजों के संपर्क
में आने वाले लोगों को ही मास्क पहनने की
सलाह दी जाती है।

- भीड़ भरी जगहों मसलन, सिनेमा हॉल या
बाजार जाने से पहले सावधानी के लिए मास्क
पहन सकते हैं।

- मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर, नर्स
और हॉस्पिटल में काम करने वाला दूसरा स्टाफ।

- एयरकंडीशंड ट्रेनों या बसों में सफर करने
वाले लोगों को ऐहतियातन मास्क पहन लेना
चाहिए।

कितनी देर करता है काम

- स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सामान्य मास्क
कारगर नहीं होता, लेकिन थ्री लेयर सर्जिकल
मास्क को चार घंटे तक और एन-95 मास्क
को आठ घंटे तक लगाकर रख सकते हैं।

- ट्रिपल लेयर सजिर्कल मास्क लगाने से
वायरस से 70 से 80 पर्सेंट तक बचाव रहता
है और एन-95 से 95 पर्सेंट तक बचाव संभव
है।

- वायरस से बचाव में मास्क तभी कारगर होगा
जब उसे सही ढंग से पहना जाए। जब भी
मास्क पहनें, तब ऐसे बांधें कि मुंह और नाक
पूरी तरह से ढक जाएं क्योंकि वायरस साइड
से भी अटैक कर सकते हैं।

- एक मास्क चार से छह घंटे से ज्यादा देर
तक न इस्तेमाल करें, क्योंकि खुद की सांस से
भी मास्क खराब हो जाता है।

कैसा पहनें

- सिर्फ ट्रिपल लेयर और एन 95 मास्क ही
वायरस से बचाव में कारगर हैं।

- सिंगल लेयर मास्क की 20 परतें लगाकर भी
बचाव नहीं हो सकता।

- मास्क न मिले तो मलमल के साफ कपड़े की
चार तहें बनाकर उसे नाक और मुंह पर बांधें।
सस्ता व सुलभ साधन है। इसे धोकर दोबारा
भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

ध्यान रखें कि

- जब तक आपके आस-पास कोई मरीज या
संदिग्ध मरीज नहीं है, तब तक मास्क न लगाएं।

- अगर मास्क को सही तरीके से नष्ट न किया
जाए या उसका इस्तेमाल एक से ज्यादा बार
किया जाए तो स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा
और ज्यादा होता है।

- खांसी या जुकाम होने पर मास्क जरूर पहनें।

- मास्क को बहुत ज्यादा टाइट पहनने से यह
थूक के कारण गीला हो सकता है।

- अगर यात्रा के दौरान लोग मास्क पहनना
चाहें तो यह सुनिश्चित कर लें कि मास्क एकदम
सूखा हो। अपने मास्क को बैग में रखें और
अधिकतम चार बार यूज करने के बाद इसे
बदल दें।

कीमत
- थ्री लेयर सजिर्कल मास्क : 10 से 12 रुपये

- एन-95 : 100 से 150 रुपये....