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Saturday, 4 June 2022

हनुमान की रामायण

जब वाल्मीकि ने अपनी रामायण पूरी की, तो नारद ने कहा 'यह अच्छी है, लेकिन हनुमान की रामायण बेहतर हैं।  ' इससे वाल्मीकि हैरान रह गए और उन्होंने पाया कि एक केले के पेड़ की 7 चौड़ी पत्तियों पर हनुमानजी की रामायण अंकित है।  उन्होंने उसे पढ़ा और पाया कि वह एकदम सही है।  व्याकरण और शब्दावली, छंद और माधुर्य का सबसे उत्तम उदाहरण।  वह अभिभूत हो गए और रोने लगे।  
'क्या यह इतनी बुरी है?  ' हनुमानजी ने पूछा।  
'नहीं, यह बहुत अच्छी है', वाल्मीकि ने कहा, 
'फिर तुम क्यों रो रहे हो?  ' हनुमानजी ने पूछा।  
'क्योंकि आपकी रामायण पढ़ने के बाद कोई मेरी नहीं पढ़ेगा,' वाल्मीकि ने उत्तर दिया।  
यह सुनकर हनुमानजी ने केले के पत्ते फाड़ दिए और कहा 'अब कभी कोई मेरी रामायण नहीं पढ़ेगा! 
' ' लेकिन क्यों ?  ' वाल्मीकि ने पूछा।  
हनुमानजी ने कहा, 'तुम्हें मुझसे ज्यादा तुम्हारी रामायण की जरूरत है। तुमने अपनी रामायण इसलिए लिखी ताकि दुनिया तुम्हें याद रखे;  मैंने अपनी इसलिए लिखी ताकि श्रीराम मुझे याद रहे।'
'उस समय वाल्मीकि ने महसूस किया कि वे कैसे प्रसिद्धि की इच्छा से ग्रसित हैं।  उन्होंने स्वयं को मुक्त करने के लिए यह कार्य नहीं किया था।  जैसे उनकी रामायण महत्वाकांक्षा की उपज थी, लेकिन हनुमानजी की रामायण भक्ति की उपज थी।  इसलिए हनुमानजी की रामायण इतनी बेहतर थी। 
हमारे जीवन में हनुमान जैसे लोग हैं जो प्रसिद्ध नहीं होना चाहते हैं।  वे सिर्फ अपना काम करते हैं और अपने उद्देश्य को पूरा करते हैं।  हमारे जीवन में भी कई अनकहे 'हनुमान' हैं।  हमारे जीवनसाथी, माता-पिता, मित्र, सहकर्मी।  आइए उन्हें याद करें और उनके प्रति आभारी रहें।

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