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Tuesday, 21 February 2023

उस के दुश्मन हैं बहुत

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा 
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा 

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे 
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा 

प्यास जिस नहर से टकराई वो बंजर निकली 
जिस को पीछे कहीं छोड़ आए वो दरिया होगा 

मिरे बारे में कोई राय तो होगी उस की 
उस ने मुझ को भी कभी तोड़ के देखा होगा 

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक 
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा 

निदा फ़ाज़ली

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