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Thursday, 30 November 2023
मन
मानव शरीर के रूप में मनुष्य के इस बाहरी विस्तार का केंद्र मन है और जो कुछ भी शरीर के माध्यम से प्रदर्शित होता है वह केंद्र, मन से आता है। यदि हमारा मन सामंजस्यपूर्ण स्थिति में आ जाए तो परिस्थितियों और वातावरण का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और भीतर कोई अशांति नहीं होगी। सभी परिस्थितियों में शांति और सौहार्द कायम रहेगा। जुनून, उत्तेजना और इच्छाएं अपनी तीव्रता खो देंगी और खुशी या दुख दृश्य से गायब हो जाएंगे। हमारी इच्छाएं ही दुखों का मुख्य कारण हैं। अत: दुखों का एकमात्र समाधान इच्छाओं का परित्याग है। इच्छाएँ जितनी कम होंगी,हमारे दुःख उतने ही कम होंगे -
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