Search This Blog

Monday, 4 December 2023

ભગવાનનો પત્ર

ખુદ ભગવાને પોસ્ટ લખી હોય એવું જ લાગે જેણે લખ્યું છે એ અફલાતૂન લખ્યું છે

તમે કરોડો છો
ને હું એક છું

મારે શાંતિ થી રહેવું હોય
પણ.....

તમારે મંગળા આરતી
કરવી હોય એટલે મને 
વાઘાં પહેરાવી અને બાબલા ની જેમ તૈયાર
કરી દો છો....

ભોગ મને ધરાવો છો
અને આરોગો છો પોતે...!

જે દિવસે એક જલેબી 
ચાખીશ....એ દિવસથી
પ્રસાદ ધરાવવાનું બંધ 
થઈ જશે....
તે જાણું છું

લગ્ન નથી થતાં
તે મંગળફેરા માંગે છે

સંતાન નથી
તે ઘોડિયું માંગે છે

કોઈને નોકરી જોઈએ છે
તો કોઈને છોકરી

માબાપ ખાસ કોઈને
જોઈતાં નથી
પણ મિલકત
બધાંને જોઈએ છે

કોઈ કમાવા માંગે છે
તો કોઈ ચોરી કરવા 
માંગે છે...

કોઈને બજાર ઊંચું લઈ 
જવું છે તો કોઈને મફતનું
જોઈએ છે....

કોઈ રોટલો માંગે છે
તો કોઈ ઓટલો

જે આવે છે તે
ઘંટ ખખડાવી ને મારા 
કાન કોતરે છે...

હું કોઈનું કામ નથી કરતો
તો મારા પરની શ્રદ્ધા 
ઘટી જાય છે...

કોઈનું કામ થઈ જાય છે
તો મને મહાભોગ ચડે છે

વરસાદ નથી આવતો
તો યજ્ઞ થાય છે

આકાશ ખાબકે છે
તો ખમ્મા કરવાનું મને 
કહેવાય છે....

પણ સાચું કહું
હું  કૈં નથી કરતો

નથી હું પરણાવતો
કે નથી કોઈ નું છૂટું કરતો

જંગલ હું નથી કાપતો

હાઇરાઈઝ મેં નથી બાંધ્યાં

અમીર હું નથી કરતો

ગરીબી મેં નથી આપી

તમને લીલીછમ પૃથ્વી 
આપી રહેવા માટે
એની તમે રાખ કરો તો
એમાં મારો શો વાંક....?

મેં અણુ આપ્યો
ને તમે બૉમ્બ બનાવ્યો
પછી કહો કે
શાંતિ વાર્તા કરો
તો કેવી રીતે કરું....?

સાચું કહો
તમે મને
ઈશ્વર માનો છો કે 
નોકર...?

પ્રાર્થનાની આડમાં
તમે આજ્ઞાઓ જ કરો 
છો....કે બીજું કૈં....?

ને તમે ઈચ્છો છો કે
તમે સેવા કરો છો છતાં પણ
હું કોઈનું સાંભળતો નથી....?

હું મેરેજ બ્યુરો નથી ચલાવતો
કે નથી ચલાવતો
કોઈ એમ્પ્લોયમેન્ટ એક્સચેન્જ

મેં કોઈનું કૈં બગાડ્યું નથી
કે નથી મારે
કોઈ પાસે થી કૈં જોઇતું

શ્રીફળ વધેરી અને
મને વધેરવાનું રહેવા દો તમે

આપવાનું હતું તે આપ્યું જ છે

હવે મારી પાસે કૈં નથી
કૃપા કરી ને
હવે કૈં માંગી અને
મને શરમાવશો નહી...
                                               
તમારું કામ થઈ જશે એમ કહેનાર
મારા કોઈ
સહાયક કે કમિશન એજન્ટો
મેં નિમેલા નથી         
માટે તેવા લોકો થી બચો 
                                                                 
તમે આજ સુધી
ઘણી પ્રાર્થનાઓ કરી
પણ
આજે હું તમને
એક પ્રાર્થના કરું છું

અને એ પણ જાણું છું
હું જે કહું છું એ પછી કોઈ
મારી પાસે મંદિરમાં આવવાનું
નથી....

તોય કહું છું....

કોઈ માંગણી ન હોય
તો જ... 
મારી પાસે આવજો

અને હા....
છેલ્લે છેલ્લે એટલું જ 
કહીશ કે

તમારા કર્મ પર ધ્યાન આપજો
 
મારી વ્યથાને અનુભવજો
એવી આશા સાથે....
શબ્દો ને વિરામ આપુ છું.... 

આ બધું કર્મ નું ચક્ર છે. કર્મ ફળ આપ્યા વગર રહે જ નઈ.

જેવા કર્મ કરશો તેવું ભોગવશો....

 લી. તમારો પણ તમારાથી થાકેલો પ્રભુ

Thursday, 30 November 2023

साधु-संत

साधु-संत वही कहते हैं, जो तुम सुनना चाहते हो। वह नहीं जो है। वैसा नहीं, जैसा है; वरन वैसा, जैसा तुम्हें प्रीतिकर लगेगा, मधुर लगेगा। वैसा, जैसा है, कटु भी हो सकता है, कठोर भी हो सकता है। तुम सांत्वना चाहते हो, सत्य नहीं। सत्य को तो तुम सूली देते हो। तुम मलहम-पट्टी चाहते हो, चिकित्सा नहीं। क्योंकि चिकित्सा तो कभी-कभी शल्य- चिकित्सा भी होती है। साधु-संत तुम्हारी पीठ थपथपाते हैं, तुम्हें प्रसन्नचित्त करते हैं।
         क्षणभंगुर है वह प्रसन्नता। और उनका पीठ थपथपाना तुम्हारे किसी काम न आएगा। लेकिन हां, थोड़ी राहत मिलती है। क्षण भर को सही, थोड़ी आशा बंधती है। तुम्हारे साधु-संत तुम्हारी आशा पर जीते हैं। वे सपनों के सौदागर हैं। उन्हें भलीभांति पता है तुम क्या चाहते हो। एक बात तो सुनिश्चित रूप से उन्हें ज्ञात है कि तुम सत्य नहीं चाहते। सत्य के साथ तो तुम बहुत दुर्व्यवहार करते हो। तुम मधुर झूठ चाहते हो, मीठा झूठ चाहते हो। तुम झूठों का एक जाल चाहते हो, जिसमें सुरक्षित तुम अपने जीवन को जैसा जी रहे हो वैसा ही जी सको। तुम्हें जीवन को रूपांतरण न करना पड़े।
        सिगमंड फ्रायड ने अपने बहुत महत्वपूर्ण वचनों में एक वचन यह भी कहा है कि मैं ऐसी कोई संभावना नहीं देखता भविष्य में कि आदमी बिना भ्रम के जी सकेगा। भ्रम जैसे आदमी के लिए अनिवार्य भोजन है। तुम्हें बड़े-बड़े भ्रम चाहिए, तुम्हें बड़े-बड़े झूठ चाहिए–स्वर्ग के, नरक के, पाप के, पुण्य के। तुम्हें इतने झूठ चाहिए, तो तुम कहीं उन झूठों की सहायता लेकर, उन झूठों की बैसाखियां लेकर किसी तरह अपनी जिंदगी को गुजार पाते हो। कोई तुमसे कह दे कि तुम लंगड़े हो, तो तुम्हें पीड़ा होती है। कोई कह दे कि तुम अंधे हो, तो तुम्हें पीड़ा होती है। कोई कह दे कि ये तुम्हारे पैर नहीं हैं, लकड़ी है, बैसाखियां हैं, तो तुम्हें अच्छा नहीं लगता। इसीलिए तो हम अंधे को भी सूरदास जी कहते हैं। बुरा न लग जाए!
       साधु-संत परजीवी हैं, तुम्हारे ऊपर निर्भर हैं। तुमसे रोटी पाते हैं, तुमसे वस्त्र पाते हैं, तुमसे सम्मान पाते हैं। वे तुम्हारे नौकर-चाकर हैं। तुम उन्हें सम्मान देते हो, सत्कार देते हो, उसके बदले में तुम उनसे सांत्वना चाहते हो। लेन-देन है, व्यवसाय है, समझौता है, सौदा है। इसलिए साधु-संत क्या कहते हैं, बहुत सोच-समझ कर पकड़ना। गौर से देख लेना। कहीं ऐसा तो नहीं है कि सिर्फ तुम्हारे झूठों को सहारा दिया जा रहा है? तुम्हारे घावों को सहलाया जा रहा है? भुलाया जा रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि धर्म के नाम पर तुम्हें अफीम पिलाई जा रही है
ओशो

मनोहर धोबी का गधा

मैंने सुना है, पुरानी कथा है कि अवंतिका नगर के बाहर, क्षिप्रा नदी के पार एक महापंडित रहता था। उसकी दूर दूर तक ख्याति थी। वह रोज क्षिप्रा को पार करके, नगर के एक बड़े सेठ को कथा सुनाने जाता था धर्मकथा। एक दिन बहुत चौंका। जब वह नाव से क्षिप्रा पार कर रहा था, एक घड़ियाल ने सिर बाहर निकाला और कहा कि पंडित जी, मेरी भी उम्र हो गई, मुझे भी कुछ ज्ञान आते जाते दे दिया करें। और मुफ्त नहीं मांगता हूं। और घड़ियाल ने अपने मुंह में दबा हुआ एक हीरों का हार दिखाया।

पंडित तो भूल गया जिस वणिक को कथा सुनाने जाता था उसने कहा, पहले तुझे सुनाएंगे। रोज पंडित घड़ियाल को कथा सुनाने लगा और रोज घड़ियाल उसे कभी हीरे, कभी मोती, कभी माणिक के हार देने लगा। कुछ दिनों बाद घड़ियाल ने कहा कि पंडित जी! अब मेरी उम्र पूरी होने के करीब आ रही है, मुझे त्रिवेणी तक छोड़ आएं, एक पूरा मटका भर कर हीरे जवाहरात दूंगा। पंडित उसे लेकर त्रिवेणी गया और जब घड़ियाल को उसने त्रिवेणी में छोड़ दिया और अपना मटका भरा हुआ ले लिया और ठीक से देख लिया मटके में कि हीरे जवाहरात सब हैं, और विदा होने लगा तो घड़ियाल उसे देख कर हंसने लगा। उस पंडित ने पूछा. हंसते हो? क्या कारण है?

उसने कहा, मैं कुछ न कहूंगा। मनोहर नाम के धोबी के गधे से अवंतिका में पूछ लेना। पंडित को तो बहुत दुख हुआ। किसी और से पूछें यही दुख का कारण! फिर वह भी मनोहर धोबी के गधे से पूछें! मगर घड़ियाल ने कहा, बुरा न मानना। गधा मेरा पुराना सत्संगी है। मनोहर कपड़े धोता रहता है, गधा नदी के किनारे खड़ा रहता है, बड़ा ज्ञानी है। सच पूछो तो उसी से मुझमें भी ज्ञान की किरण जगी। पंडित वापिस लौटा, बड़ा उदास था। गधे से पूछे! लेकिन चैन मुश्किल हो गई, रात नींद न आए कि घड़ियाल हंसा तो क्यों हंसा? और गधे को क्या राज मालूम है? फिर सम्हाल न सका अपने को। एक सीमा थी, सम्हाला, फिर न सम्हाल सका। फिर एक दिन सुबह सुबह पहुंच गया और गधे से पूछा कि महाराज! मुझे भी समझाएं, मामला क्या है? घड़ियाल हंसा तो क्यों हंसा?

वह गधा भी हंसने लगा। उसने कहा, सुनो, पिछले जन्म में मैं एक सम्राट का वजीर था। सम्राट ने कहा कि इंतजाम करो, मेरी उम्र हो गई, त्रिवेणी चलेंगे, संगम पर ही रहेंगे। फिर त्रिवेणी का वातावरण ऐसा भाया सम्राट को, कि उसने कहा, हम वापिस न लौटेंगे। और मुझसे कहा कि तुम्हें रहना हो तो मेरे पास रह जाओ और अगर वापिस लौटना हो तो ये करोड़ मुद्राएं हैं सोने की, ले लो और वापिस चले जाओ। मैंने करोड़ मुद्राएं स्वर्ण की ले लीं और अवंतिका वापिस आ गया। इससे मैं गधा हुआ। इससे घड़ियाल हंसा।
कहानी प्रीतिकर है।
बहुत हैं, जिनका ज्ञान उन्हीं को मुक्त नहीं कर पाता। बहुत हैं जिनके ज्ञान से उनके जीवन में कोई सुगंध नहीं आती। जानते हैं, जानते हुए भी जानने का कोई परिणाम नहीं है। शास्त्र से परिचित हैं, शब्दों के मालिक हैं, तर्क का श्रृंगार है उनके पास, विवाद में उन्हें हरा न सकोगे; लेकिन जीवन में वे हारते चले जाते हैं। उनका खुद का जाना हुआ उनके जीवन में किसी काम नहीं आता।

जो ज्ञान मुक्ति न दे वह ज्ञान नहीं। ज्ञान की परिभाषा यही है, जो मुक्त करे।

जीसस ने कहा है, सत्य तुम्हें मुक्त करेगा; और अगर मुक्त न करे तो जानना कि सत्य नहीं है। सिद्धांत एक बात है, सत्य दूसरी बात। सिद्धांत उधार है, सस्ते में ले लिया है; चोर बाजार से खरीद लिया है, मुफ्त पा गए हो, कहीं राह पर पड़ा मिल गया है, अर्जित नहीं किया है। सत्य अर्जित करना होता है। जीवन की जो आहुति चढ़ाता है, वही सत्य को उपलब्ध होता है। जीवन का जो यज्ञ बनाता, वही सत्य को उपलब्ध होता है। सत्य मिलता है स्वयं के श्रम से। सत्य मिलता है स्वयं के बोध से। दूसरा सत्य नहीं दे सकता।

इस एक बात को जितने भी गहरे तुम सम्हाल कर रख लो उतना हितकर है। सत्य तुम्हें पाना होगा। कोई जगत में तुम्हें सत्य दे नहीं सकता। और जब तक तुम यह भरोसा किए बैठे हो कि कोई दे देगा, तब तक तुम भटकोगे, तब तक सावधान रहना, कहीं मनोहर धोबी के गधे न हो जाओ! तब तक तुम त्रिवेणी पर आ आ कर चूक जाओगे, संगम पर पहुंच जाओगे और समाधि न बनेगी। बार बार घर के करीब आ जाओगे और फिर भटक जाओगे।

मन

मानव शरीर के रूप में मनुष्य के इस बाहरी विस्तार का केंद्र मन है और जो कुछ भी शरीर के माध्यम से प्रदर्शित होता है वह केंद्र, मन से आता है। यदि हमारा मन सामंजस्यपूर्ण स्थिति में आ जाए तो परिस्थितियों और वातावरण का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और भीतर कोई अशांति नहीं होगी। सभी परिस्थितियों में शांति और सौहार्द कायम रहेगा। जुनून, उत्तेजना और इच्छाएं अपनी तीव्रता खो देंगी और खुशी या दुख दृश्य से गायब हो जाएंगे। हमारी इच्छाएं ही दुखों का मुख्य कारण हैं।  अत: दुखों का एकमात्र समाधान इच्छाओं का परित्याग है। इच्छाएँ जितनी कम होंगी,हमारे दुःख उतने ही कम होंगे -

मान लिया तो हो गया!

एक मनोवैज्ञानिक हारवर्ड विश्वविद्यालय में प्रयोग कर रहा था।

वह एक बडी बोतल ठीक से बंद की हुई, सब तरह से पैक की हुई लेकर कमरे में आया, अपनी क्लास में। कोई पचास विद्यार्थी हैं। उसने वह बोतल टेबल पर रखी और उसने विद्यार्थियों को कहा कि इस बोतल में अमोनिया गैस है।

मैं एक प्रयोग करना चाहता हूं कि अमोनिया गैस का जैसे ही ढक्‍कन खोलूंगा तो उस गैस की सुगंध कितना समय लेती है पहु्ंचने में लोगों तक। तो जिसके पास पहुंचने लगे सुगंध वह हाथ ऊपर ऊठा दे। जैसे ही सुगंध का उसे पता चले, हाथ ऊपर उठा दे। तो मैं जानना चाहता हूं कि कितने सेकेंड लगते हैं कमरे की आखिरी पंक्ति तक पहुंचने में।

विद्यार्थी सजग होकर बैठ गये। उसने बोतल खोली। बोतल खोलते ही उसने जल्दी से अपनी नाक पर रुमाल रख लिया। अमोनिया गैस! पीछे हटकर खड़ा हो गया। दो सेकेंड नहीं बीते होंगे कि पहली पंक्ति में एक आदमी ने हाथ उठाया, फिर दूसरे ने, फिर तीसरे ने; फिर दूसरी पंक्ति में हाथ उठे, फिर तीसरी पंक्ति में। पंद्रह सेकेंड में पूरी क्लास में अमोनिया गैस पहुंच गई। और अमोनिया गैस उस बोतल में थी ही नहीं; वह खाली बोतल थी।

धारणा—तो परिणाम हो जाता है। मान लिया तो हो गया! जब उसने कहा, अमोनिया गैस इसमें है ही नहीं, तब भी विद्यार्थियों ने कहा कि हो या न हो, हमें गंध आई। गंध मान्यता की आई। गंध जैसे भीतर से ही आई, बाहर तो कुछ था ही नहीं। सोचा तो आई।

तुम जीवन में चारों तरफ ऐसी हजारों घटनाएं खोज ले सकते हो, जब मान्यता काम कर जाती है, मान्यता वास्तविक हो जाती है।

मैं शरीर हूं, यह जन्मों—जन्मों से मानी हुई बात है; मान ली तो हम शरीर हो गये। मान ली तो हम क्षुद्र हो गये। मान ली तो हम सीमित हो गये।

यह जीवन जिसका है उसी के चरणों मे छोड़ दो.

यह जीवन जिसका है उसी के चरणों मे छोड़ दो
अगर तुम निश्चिंत होना चाहो,
तो छोटा-सा काम है बस; जरा-सी तरकीब है;
जरा-सी कला है--और कला यह है:
अपने को हटा लो और परमात्मा को करने दे जो कराए।
कराए तो ठीक, न कराए तो ठीक।
पहुंचाए कहीं तो ठीक, न पहुंचाए तो ठीक।
तुम सारी चिंता उस पर छोड़ दो।
जिस पर इतना विराट जीवन ठहरा हुआ है,
चांदत्तारे चलते हैं,
ऋतुएं घूमती हैं, सूरज निकलता है, डूबता है;
इतना विराट जीवन का सागर, इतनी लहर जो सम्हालता है, तुम्हारी भी छोटी लहर सम्हाल लेगा।
तुम अपनी लहर को अपना अहंकार मत बनाओ।
तुम अपनी लहर को उसके हाथ में समर्पित कर दो।

Sunday, 18 June 2023

Achieve anything

10 Tips to Achieve Anything You Want in Life

1. Focus on commitment, not motivation.

Just how committed are you to your goal? How important is it for you, and what are you willing to sacrifice in order to achieve it? If you find yourself fully committed, motivation will follow.

2. Seek knowledge, not results.

If you focus on the excitement of discovery, improving, exploring and experimenting, your motivation will always be fueled. If you focus only on results, your motivation will be like weather—it will die the minute you hit a storm. So the key is to focus on the journey, not the destination. Keep thinking about what you are learning along the way and what you can improve.

3. Make the journey fun.

It’s an awesome game! The minute you make it serious, there’s a big chance it will start carrying a heavy emotional weight and you will lose perspective and become stuck again.

4. Get rid of stagnating thoughts.

Thoughts influence feelings and feelings determine how you view your work. You have a lot of thoughts in your head, and you always have a choice of which ones to focus on: the ones that will make you emotionally stuck (fears, doubts) or the ones that will move you forward (excitement, experimenting, trying new things, stepping out of your comfort zone).

5. Use your imagination.

Next step after getting rid of negative thoughts is to use your imagination. When things go well, you are full of positive energy, and when you are experiencing difficulties, you need to be even more energetic. So rename your situation. If you keep repeating I hate my work, guess which feelings those words will evoke? It’s a matter of imagination! You can always find something to learn even from the worst boss in the world at the most boring job. I have a great exercise for you: Just for three days, think and say positive things only. See what happens.

6. Stop being nice to yourself.

Motivation means action and action brings results. Sometimes your actions fail to bring the results you want. So you prefer to be nice to yourself and not put yourself in a difficult situation. You wait for the perfect timing, for an opportunity, while you drive yourself into stagnation and sometimes even into depression. Get out there, challenge yourself, do something that you want to do even if you are afraid.

7. Get rid of distractions.

Meaningless things and distractions will always be in your way, especially those easy, usual things you would rather do instead of focusing on new challenging and meaningful projects. Learn to focus on what is the most important. Write a list of time-wasters and hold yourself accountable to not do them.

8. Don’t rely on others.

You should never expect others to do it for you, not even your partner, friend or boss. They are all busy with their own needs. No one will make you happy or achieve your goals for you. It’s all on you.

9. Plan.

Know your three steps forward. You do not need more. Fill out your weekly calendar, noting when you will do what and how. When-what-how is important to schedule. Review how each day went by what you learned and revise what you could improve.

10. Protect yourself from burnout.

It’s easy to burn out when you are very motivated. Observe yourself to recognize any signs of tiredness and take time to rest. Your body and mind rest when you schedule relaxation and fun time into your weekly calendar. Do diverse tasks, keep switching between something creative and logical, something physical and still, working alone and with a team. Switch locations. Meditate, or just take deep breaths, close your eyes, or focus on one thing for five minutes.

You lack motivation not because you are lazy or don’t have a goal. Even the biggest stars, richest businesspeople or the most accomplished athletes get lost sometimes. What makes them motivated is the curiosity about how much better or faster they can get. So above all, be curious, and this will lead you to your goals and success.

Lessons

Teach these 40 phrases to your sons and daughters so they can be more resilient, successful, and confident in life.

1. Where there's a will, there's a way.

2. Good manners don't cost anything.

3. Always ask. They can only say no.

4. You're not marrying one; you're marrying the whole family.

5. Find the good in everybody.

6. Don't cry before you try.

7.  There are no stupid questions, only stupid answers.

8. Pretty is as pretty does.

9. Treat others as you would like to be treated.

10. You can't control what others do, only your own reactions.

11. Don't buy what you can't afford.

12. Remember that things don’t make you happy, people do.

13. You catch more flies with honey than with vinegar.

14. Two wrongs don't make a right.

15. Watch what you step in.

16. Cow turds are a cattlemen's dollar signs. It all depends on how you look at it.

17. Teamwork makes the dream work.

18. Life isn't about finding yourself. Life is about creating yourself.

19. What we think determines what happens to us, so if we want to change our lives, we need to stretch our minds.

20. Fair? The fair is two weeks in the fall.

21.  One man's trash is another man's treasure.

22. The greatest day in your life is when you take total responsibility for your attitudes. That's the day you truly grow up.

23. True freedom is understanding that we have a choice in who and what we allow to have power over us.

24. You're only as old as you feel.

25. A rolling stone gathers no moss.

26. Early to bed and early to rise makes you healthy, wealthy, and wise.

27.  Happiness is not by chance but by choice.

28. If you don’t like the road you’re walking, start paving another one.

29. A rising tide lifts all boats.

30. Don't judge a book by its cover.

31. You’re braver than you believe, and stronger than you seem, and smarter than you think.

32.  The early bird catches the worm.

33. Each day comes bearing its gifts. Untie the ribbon.

34. Expecting the world to treat you fairly because you are a good person is a little like expecting the bull not to attack you because you are a vegetarian.

35. Confession is good for the soul.

36. You can't make an omelet without breaking a few eggs.

37. The grass is greener where you water it.

38. The greatest glory in living lies not in never failing, but in rising every time we fail.

39. There is no single recipe for success. But there is one essential ingredient: Passion.

40. Never lose hope. And never underestimate the power of prayer.

Author Unknown

Sunday, 23 April 2023

पछतावा

आस्ट्रेलिया की ब्रोनी वेयर कई वर्षों तक कोई meaningful काम तलाशती रहीं,

*लेकिन कोई शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव न होने के कारण बात नहीं बनी।* 

*फिर उन्होंने एक हॉस्पिटल की Palliative Care Unit में काम करना शुरू किया।* 

*यह वो Unit होती है जिसमें Terminally ill या last stage वाले मरीजों को admit किया जाता है। यहाँ मृत्यु से जूझ रहे लाईलाज बीमारियों व असहनीय दर्द से पीड़ित मरीजों के मेडिकल डोज़ को धीरे-धीरे कम किया जाता है और काऊँसिलिंग के माध्यम से उनकी spiritual and faith healing की जाती है*

 *ताकि वे एक शांतिपूर्ण मृत्यु की ओर उन्मुख हो सकें।*

*ब्रोनी वेयर ने ब्रिटेन और मिडिल ईस्ट में कई वर्षों तक मरीजों की counselling करते हुए पाया कि मरते हुए लोगों को कोई न कोई पछतावा ज़रूर था।*

*कई सालों तक सैकड़ों मरीजों की काउंसलिंग करने के बाद ब्रोनी वेयर  ने मरते हुए मरीजों के सबसे बड़े 'पछतावे' या 'regret' में एक कॉमन पैटर्न पाया।*

*जैसा कि हम सब इस universal truth से वाकिफ़ हैं कि मरता हुआ व्यक्ति हमेशा सच बोलता है, उसकी कही एक-एक बात epiphany अर्थात 'ईश्वर की वाणी' जैसी होती है। मरते हुए मरीजों के इपिफ़नीज़ को  ब्रोनी वेयर ने 2009 में एक ब्लॉग के रूप में रिकॉर्ड किया। बाद में उन्होनें अपने निष्कर्षों को एक किताब* *“THE TOP FIVE REGRETS of the DYING" के रूम में publish किया। छपते ही यह विश्व की Best Selling Book साबित हुई और अब तक  लगभग 29 भाषाओं में छप चुकी है। पूरी दुनिया में इसे 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों ने पढ़ा और प्रेरित हुए।*

*ब्रोनी द्वारा listed 'पाँच सबसे बड़े पछतावे' संक्षिप्त में ये हैं:*

*1) "काश मैं दूसरों के अनुसार न जीकर अपने अनुसार ज़िंदगी जीने की हिम्मत जुटा पाता!"*

*यह सबसे ज़्यादा कॉमन रिग्रेट था, इसमें यह भी शामिल था कि जब तक हम यह महसूस कर पाते हैं कि अच्छा स्वास्थ्य ही आज़ादी से जीने की राह देता है तब तक यह हाथ से निकल चुका होता है।*

*2) "काश मैंने इतनी कड़ी मेहनत न की होती"*

*ब्रोनी ने बताया कि उन्होंने जितने भी पुरुष मरीजों का उपचार किया लगभग सभी को यह पछतावा था कि उन्होंने अपने रिश्तों को समय न दे पाने की ग़लती मानी।* 
*ज़्यादातर मरीजों को पछतावा था कि उन्होंने अपना अधिकतर जीवन अपने कार्य स्थल पर खर्च कर दिया!*
*उनमें से हर एक ने कहा कि वे थोड़ी कम कड़ी मेहनत करके अपने और अपनों के लिए समय निकाल सकते थे।*

*3) "काश मैं अपनी फ़ीलिंग्स का इज़हार करने की हिम्मत जुटा पाता"*

*ब्रोनी वेयर ने पाया कि बहुत सारे लोगों ने अपनी भावनाओं का केवल इसलिए गला घोंट दिया ताकि शाँति बनी रहे, परिणाम स्वरूप उनको औसत दर्ज़े का जीवन जीना पड़ा और वे जीवन में अपनी वास्तविक योग्यता के अनुसार जगह नहीं पा सके! इस बात की कड़वाहट और असंतोष के कारण उनको कई बीमारियाँ हो गयीं!*

*4) "काश मैं अपने दोस्तों के सम्पर्क में रहा होता"*

*ब्रोनी ने देखा कि अक्सर लोगों को मृत्यु के नज़दीक पहुँचने तक पुराने दोस्ती के पूरे फायदों का वास्तविक एहसास ही नहीं हुआ था!*
*अधिकतर तो अपनी ज़िन्दगी में इतने उलझ गये थे कि उनकी कई वर्ष पुरानी 'गोल्डन फ़्रेंडशिप' उनके हाथ से निकल गयी थी। उन्हें 'दोस्ती' को अपेक्षित समय और ज़ोर न देने का गहरा अफ़सोस था। हर कोई मरते वक्त अपने दोस्तों को याद कर रहा था!*

*5) "काश मैं अपनी इच्छानुसार स्वयं को खुश रख पाता!!!"*

*आम आश्चर्य की यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात सामने आयी कि कई लोगों को जीवन के अन्त तक यह पता ही नहीं लगता है कि 'ख़ुशी' भी एक choice है!*

*हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि-*
*'ख़ुशी वर्तमान पल में है'...*
*'Happiness Is Now'...*
~PPG~

Tuesday, 21 February 2023

उस के दुश्मन हैं बहुत

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा 
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा 

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे 
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा 

प्यास जिस नहर से टकराई वो बंजर निकली 
जिस को पीछे कहीं छोड़ आए वो दरिया होगा 

मिरे बारे में कोई राय तो होगी उस की 
उस ने मुझ को भी कभी तोड़ के देखा होगा 

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक 
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा 

निदा फ़ाज़ली

Saturday, 18 February 2023

शिवलिंग की वैज्ञानिकता ....

भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें। भारत सरकार के नुक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।..
शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे किए बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले है । क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।.
शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। ध्यान दें, कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है। जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है। विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।..
आपका दिन शुभ हो।.

Wednesday, 15 February 2023

जन्म दिवस

वसीम बरेलवी : जन्मदिवस ( पूरी ग़ज़ल 👇 )

दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता

पहुँचा है बुज़ुर्गों के बयानों से जो हम तक
क्या बात हुई क्यूँ वो ज़माना नहीं आता

मैं भी उसे खोने का हुनर सीख न पाया
उस को भी मुझे छोड़ के जाना नहीं आता

इस छोटे ज़माने के बड़े कैसे बनोगे
लोगों को जब आपस में लड़ाना नहीं आता

ढूँढे है तो पलकों पे चमकने के बहाने
आँसू को मिरी आँख में आना नहीं आता

तारीख़ की आँखों में धुआँ हो गए ख़ुद ही
तुम को तो कोई घर भी जलाना नहीं आता

#waseembarelvi #birthday 
#kavitaaayein